2019 कार्तिक पूर्णिमा कब होता है और यह कियूं होता है ?
पौराणिक कथा के मुताबिक तारकासुर नामक एक राख्यस था ,उसकी तिन पुत्र थे .तारकक्स , विमलाश और बिधुन्माली भगबान शिव के पुत्र कार्तिक ने तारकासुर को बढ़ किया .अपने पिता की मृत्यु की खबर सुनते ही तीनो पुत्र बहुत दुखी हुए .तिनोने ब्रह्मा से बरदान पानेकेलिये घर तपस्या की .ब्रह्मा जी ने तीनो की तपस्या से बहुत प्रसन हुए .और बोले की आपको किया बरदान चाहते हो मांगो .तीनो ने ब्रह्मा जी से अमर होने की बरदान माँगा .लिकिन ब्रह्मा जी ने इसके अलाबा दूसरी बरदान मांगने को कहा .
तीनो ने मिलकर कहा की हमें तिन अलग अलग नगर का निर्माण करदिजिये .जिसमे सभी बैठ कर सारी पृथिबी और आकाश में घुमा जा सकें .एक हजार साल बाद हाम जब तीनो मिले तो तीनो का नगर मिलके एक नगर होजाए .और जो देवता तीनो नगर को एक बाण से नस्ट करने की खमता रखता हो वही हमारा मृत्यु का कारण हो .ब्रह्मा जी ने उन्हें यह बरदान देदिया .
तीनो बरदान पा कर बहुत खुस हुए .ब्रह्मा जी के कहेने पर दानब ने तीनो नगर का निर्माण किया .तारकक्स , विमलाश और बिधुन्माली तीनो केलिए जथाक्रम सोना , चांदी और लोहे का नगर बनाया गया .
कार्तिक पूर्णिमा कब मनाया जाता है ?
तीनो ने मिलकर अपना अपना अधिकार जमा लिया .इंद्र देवता इन्ह तिन राख्य्स से भय भीत हुए , और भगबान संकर के चरण में गए .इसीलिए इन्हें ख़तम करने केलिए भगबान शिव ने एक दिव्या रथ बनाये , यह दिव्या रथ की सभी चीज़ देवतायो से बनी थी .चंद्रमा और सूर्य से पहिये बने हुए थे .इंद्र , बरुन , यम और कुबेर रथ के चार घड़े हुए थे .हिमालय धनुष बने , भगबान शिव खुद बाण बने .बाण के एक हिसा बने अगनिदेव .
यह रथ के साथ तीनो भाई के बिच भयंकर युद्ध हुआ .जिसे ही तिन रथ एक संग आये भगबान शिव ने बाण का प्रयाग करके तीनो को बिनाश कर दिया .इसी बढ़ के बाद भगबान शिव को तिरपुरारी कहा जाने लगा .यह बोध कार्तिक मास पुरिमा को हुआ और इसीलिए इन्ह पूर्णिमा को तिरपुरी पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा में से जाने जाना लगा .
इस साल 2019 को कार्तिक पूर्णिमा Tuesday, 12 November को मनाया जायेगा .
कार्तिक पूर्णिमा के टाइम गंगा स्नान जरुर करे .और यदि आप गंगा स्नान नही कर सकते तो आप सूर्य उदय से पहेले घर पर स्नान कर ले .
कार्तिक पूर्णिमा के टाइम क्या करना चाहिए
अपने घर के मुख्य दुआर को सजाये .
मंदिर जा कर दीपदान करे .
जरुरत मंद को चावल दान करे .
रात्री में चाँद की पूजा करना बहुत ही जरुरी है .
तुलसी को पूजन करना चाहिए .
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