Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

Chanakya Biography in Hindi -Chanakya NEETI

Chanakya Biography in Hindi -Chanakya NEETI


दोस्तों भारत में ऐसा लोग जन्म लिया जिन्होंने अपने ज्ञान बलबूते के ऊपर इतिहास के पन्न में दर्ज कर दिया और ऐसे ही समझदार के लिस्ट में से सामने आता है आचार्य चाणक्य का ,जो की एक टीचर , फिलोशोपर,इकोनॉमिस्ट ,जूरिस्ट और रॉयल एडवाइजर भी थे .और इन्हें भी आज के टाइम पे महान पॉलिटिशियन के नाम पर जानते हैं .

छाये वह बिता हुआ समाया हो इया आज का समय हो , लोग एक सफल बियक्ति बनने केलिए चाणक्य के बताया हुआ रूल पर ही चलते हैं .तो चलिए दोस्तों आज जानते हैं कैसे उन्होंने नन्द बंश को बिनाश करके मौर्य सासन की निब रखी.

तो इश कहानी की शुरुआत होती है आज से 371 BC पुर्ब  से .जब चनका नाम के एक गाँव में चान्यक का जन्म हुआ था .और यह गाँव उष टाइम गोल्ला रीजन में था .चाणक्य को लोग कौटिल्यो और बिश्नुगुप्त के नाम पर भी जानते थे .और बतया जाता है की वह बचपन से ही बहुत ज्ञानी थे .और चाणक्य की तेज़ दिमाग को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें तकशिला के स्कूल में पढ़ाई केलिए भेज दिया .और वहां पर चाणक्य को बेद शास्त्र और इकोनॉमिक्स अछि तरह जानने का मोका मिला .और वहां पर उनका पढ़ाई ख़तम होने पर वहीँ एक टीचर की नौकरी करने लगे .



और दोस्तों चाणक्य के समय पर एक जगह हुआ करता था पाटिलपुत्र जिसे हम आजके टाइम पे पटना के नाम पर जानते हैं .और उष टाइम पाटिलपुत्र एक सक्तिसाली मगध का कैपिटल था .जहाँ पर नन्द बंश का साम्रज्य था .और वहां के राज थे धनानंद .और एक बार रजा धनानंद ने मगध के अन्दर एक बड़ा सा योग्य करबाया .जब वह योग्य चल रहा था तब चाणक्य भी वहीँ पर मजूद थे .और चाणक्य ब्रम्ह भज्य समय पर ब्राह्मण के गद्दी पर जा बैठे .

जब राजा धनानंद ब्रम्ह भज्य के स्तान पर पहुंचे और चाणक्य के पेहेनाबे को देख कर उनका मोजाक उड़ाया .और ब्रम्ह भज्य जगह से उन्हें उठने की आदेश दिया ,और यह सभी अपमान से क्रोधित होकर चाणक्य ने अपनी चोटी खोल दी और रजा धनानंद को कहा की जब तक वोह नन्द बंश की सफाया नही करलेंगे ,तब तक वोह अपना चोटी नही बांधेगे .

और एहिं से चाणक्य का एक मकसद होगया की सिर्फ और सिर्फ नन्द बंश को ख़त्म करके अपने दुआर चुने गए आदमी को राजा बनायेंगे .और अपमान सहेन के बाद चाणक्य ने एक जंगेल चले गए और वहां उन्हेंने सोने की सीके तियार किये .जो की कोई ख़ास टेक निक से बनाये गए थे .और इसी तरह उन्हेंने 800 मिलियन  सीके तेयार किये .और जंगले में ही उसे छुपा दिए .

और अब चाणक्य निकले पड़े वह आदमी की खोज करने केलिए जो की धनानंद की जगह पर रजा बन सके .साथी उन्हने रजा धनानंद के बेटे पब्बाता से भी दोस्ती बढ़ाइ और इसे मगध की सिंघासन पाने केलिए उकसाने लगा .उसी टाइम चाणक्य ने एक लड़के को देखा जो की कुछ लड़के के साथ लड़ते हुए दिखा और उसे देखते ही पल भर में उसे समझ गए की यह तो कोई आम लड़का नही है .

और जब उन्हने उस लड़के के बारे में जानकारी हासिल की तो यह पता लगा की यह मौर्य साम्रज्य का बंस्ज चन्द्रगुप्त हैं .जिनकी पिता की हत्या राज्य की लालच में ही कर दी गयी थी .और राज कुमार चन्द्रगुप्त को राज्य से निकाल दिए गए थे .और इन्ह बातो को जानने के बाद आचार्य चाणक्य को यह महेसुस हुआ की चन्द्र गुप्त हिं धनानंद की गादी पानी की योग्य है .

अब भी पब्बता जो की राजा धनानंद की बेटे थे और चन्द्रगुप्त इन्ह दोनों से एक को चुनना बाकी था .और सही चुनाब केलिए आचार्य चाणक्य ने दोनों की परिख्या लेने की सोची और दोनों एक धागे में बंधी हुए एक रक्ष्या कब्ज दी और कहा की गले में पेहेन कर रखे .और एक बार जब चन्द्र गुप्त सो रहे थे तो चाणक्य ने पब्बता से कहा की चन्द्र गुप्त को बिना जगाये हुए और धागे को बिना काटे हुए .उनके गले से वह रक्षा कब्ज निकलकर लाये .लिकिन हजार कोसिस के बाद भी पब्बाता यह नही कर पाए .

और येही समान काम चन्द्र गुप्त को दिया तो चन्द्र गुप्त ने पब्बाता का सर धड से अलग कर दिया .और वह रक्षा कब्ज चाणक्य को लाकर दे दी .और इसी तरह चाणक्य को मगध की राजा मिलगया था .और अगले सात सालों तक  चाणक्य ने चन्द्र गुप्त को राजनीति सही कर्तब्य की सिख दी .और अंत में चाणक्य ने सोने की सिको को निकालकर बिसाल सेना तेयार की और वह राजा धनानंद को हराकर चन्द्र गुप्त को राजा बना दिया .

और चाणक्य ने उसके बाद चन्द्रगुप्त की प्रधानमंत्री बन कर जिन्दगी बितायी .

Chanakya NEETI


मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है.



लड़की का बयाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. पुत्र को अचछी शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए.



एक दुर्जन और एक सर्प मे यह अंतर है की साप तभी डंख मरेगा जब उसकी जान को खतरा हो लेकिन दुर्जन पग पग पर हानि पहुचने की कोशिश करेगा .



राजा लोग अपने आस पास अच्छे कुल के लोगो को इसलिए रखते है क्योंकि ऐसे लोग ना आरम्भ मे, ना बीच मे और ना ही अंत मे साथ छोड़कर जाते है.



जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मयारदा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के सामान भयंकर आपत्ति अवं विपत्ति में भी आपनी मर्यादा नहीं बदलते.

Post a Comment

0 Comments